आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ह्यूमन इंटेलिजेंस से अलग क्यों है?

पिछली पोस्ट से एक और चीज़ दिमाग में आई,
इसको लेकर के इंसानी इंटेलिजेंस मशीनी इंटेलिजेंस से अलग क्यों है। 

और वो चीज़ ये है की दरअसल हम लोगों की इंटेलिजेंस भ्रम पर आधारित है। जैसा की प्लेटो और कांट ने भी कहा था ये फिलोसोफी में ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव रियलिटी को लेकर, और मॉडर्न साइंस भी इसे मानती है !। 2015 में एक इंटरनेट पोस्ट वायरल हुई थी "Dress That Broke The Internet", जिसका के रंग पुछा गया था लोगों से, साथ लगी तस्वीर वही है। 
ये रंग को लेकर इंसानी समझ को एक्सपोज़ करने वाली चीज़ थी, ऐसी ही चीज़ें आवाज को लेकर भी वायरल हुई है कई। 

और ये केवल हमारे साथ प्रॉब्लम  नहीं है, जानवर भी रियलिटी को अलग अलग तरीके से देखते हैं, कुत्ते जैसे रंगों में नहीं देखते, चमगादड़ देखते ही नहीं, वगैरह वगैरह, हरेक की रियलिटी का परसेप्शन अलग अलग है, और उनके ज्ञान का आधार भी वही है। 
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हम लोग असल में रियलिटी को देखते ही नहीं है। 
हमारा दिमाग एक रियलिटी बना के देता है हमें जो हकीकी रियलिटी से अलग रहती है। 
इसलिए हमारी सारी Measurements हमारी सारी इंसानों द्वारा ईजाद की गयी (डिस्कवर नहीं) चीज़ें असल में एक फेक रियलिटी पर बेस्ड है। 
हमारी लाइट से लेकर, दूरी, और ऊंचाई तक की समझ इसी फेक रियलिटी में बनी हुई है। 
और इसीलिए मशीनें कभी भी इन चीज़ों जैसी कोई चीज़ों की ईजाद नहीं कर सकती हैं, क्यूंकि उनका विज़न कभी भी हमारी तरह का फेक रियलिटी वाला विज़न नहीं हो सकता, वे वैसा ही देखेंगी जैसा की प्रकृति में एक्सिस्ट करता है क्यूंकि उनके पास हमारे वाला ब्रेन ही नहीं है, जोकि हर चीज़ को मीनिंग देने के लिए एक फेक रियलिटी क्रिएट कर लेता है। 

हम जो कुछ देख रहे हैं या महसूस कर रहे हैं वो पूरी तरह से रियलिटी नहीं होती है, ज्यादातर चीज़ हमारा दिमाग क्रिएट करता है, जोकि एवोलुशन ने उसे क्रिएट करने के लिए ट्रैन कर रखा है  । 
और हमारी सारी ईजादें इस क्रिएटेड रियलिटी के मद्देनज़र ही होती है। 

और चूंकि मशीनों को हम अपनी नॉलेज ट्रांसफर कर रहे हैं तो उनके पास सारी इनफार्मेशन वो जा रही है जो की हमने अपनी फेक रियलिटी के मद्देनज़र अर्जित की है। 
अब अगर हम इस नॉलेज के विस्तार से हटा दिए जाते हैं मशीनों द्वारा तो वो एक ऐसी स्थिति में फंस जाएंगी जिसमे उनके पास जो नॉलेज है वो जिस व्यूपॉइंट से अर्जित की गयी थी वो व्यूपॉइंट ही अब एक्सिस्ट नहीं करता, इसलिए उनकी प्रोग्रेस आगे के लिए सीमित हो जायेगी।

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