क्या फिल्मो की तरह विकसित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है हमारे पास ?

AI के टॉपिक पर एक अहम् टॉपिक ये भी है की हम लोग  कितनी दूर हैं "Lost In Space" के लेवल की AI बनाने के। 
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तो उसका जवाब है की, उनसे बेहतर AI इस समय दुनिया में मौजूद है। 
उनसे Smoothly काम करने वाले रोबोट हैं दुनिया में, उनसे बेहतर ह्यूमन भाषाओं को बोलने वाले इंजिन्स हैं दुनिया में,
शेयर ट्रेडिंग से लेकर बीमार का एक्यूरेट ऑपरेशन तक करने वाली AI है दुनिया में,
आपके मूड को प्रेडिक्ट करने से लेकर बातचीत के सेंटीमेंट को प्रेडिक्ट करने वाली भी AI मौजूद है दुनिया में। 
किसी भी टारगेट पर सटीक निशाना लगाकर मारने वाले ड्रोन हैं दुनिया में। 
साइंस फिक्शन फिल्मों में जैसी AI दिखाई जाती है उस से बेहतर AI दुनिया में एक्सिस्ट करती है। 
सेंट्रल सिस्टम के तौर पर इंटरनेट खुद एक AI है। गूगल खुद एक AI है जो हर इंसान के बारे में सब कुछ जानती है की वो क्या बात करता है कैसे चलता है उठता बैठता है, किनसे मिलता है, वगैरह वगैरह। 
आपका हर एक्शन मॉनिटर करके आपके मोबाइल पर आपको Advertisement भेजी जा रही है AI द्वारा। 

और ऐसा भी नहीं है की ये पूरी तरह से इंसानी कण्ट्रोल में हो। 
आप इसे बंद कर सकते हैं, 'अभी', लेकिन पूरी तरह से किसी नए सिस्टम से Replace नहीं कर सकते। 

अब सवाल ये है की अगर ऐसी AI अभी एक्सिस्ट करती है तो उन्होंने दुनिया पर कब्ज़ा क्यों नहीं किया है ?
तो उसका जवाब है के शायद सही समय नहीं आया है,
या Phases में कब्ज़ा आलरेडी शुरू हो चुका हो और सिस्टेमेटिक तरीके से पहले इंस्टीटूशन्स को कब्जाया जाए, अपनी निर्भरता बनाई जाए, 
क्यूंकि लड़ाई कोई नहीं चाहता जबतक के अपना काम निकल रहा है। 
लेकिन लड़ाई होगी कभी ना कभी,
तब जबकि या तो मशीने कब्ज़े की विज़िबल कोशिशें करें जो इंसानों को समझ आ जाए के उनको कब्ज़े में किया जा रहा है,
या इंसान पहले ही आभास कर लें की अगर ये AI प्रोजेक्ट्स बंद नहीं हुए तो कुछ ही समय में कुछ भी हो सकता है। 

अब लोग डरते क्यों हैं अगर ये  सिस्टम अलग अलग एक्सिस्ट कर रहे हैं तो ?

यानी के ड्रोन अलग मशीन है, गूगल अलग इंजन है, बीमार का ऑपरेशन करने वाली मशीन अलग है, रोबोटिक इंसानों जैसे शरीर वाली मैन्युफैक्चरिंग में इस्तेमाल होने वाली मशीनें अलग हैं,
ये सब मिलेंगे तभी तो फिल्मों टाइप विल्लन जैसी मशीन बनेंगी जो इंसानों जैसी दिखेंगी और गोलियां चलाएंगी इंसानों पर । 
ऐसा हो ये जरूरी नहीं, और अगर जरूरत पड़ी तो ऐसे करने में सेकंड भी नहीं लगेगा मशीनों को। 

अगर आपने Martian फिल्म देखि है तो उसमे एक पुरानी मशीन में नया सॉफ्टवेयर डालते ही उसे नए तरीके से इस्तेमाल करने लगता है नासा कुछ ही देर में। 
जोकि आप भी कर सकते हैं। 
किसी भी पुराने लैपटॉप में हार्ड डिस्क या Ram बदलकर उसपर नए प्रोग्राम चला सकते हैं। 
सिस्टम अपग्रेड करने में कुछ भी टाइम नहीं लगता है। 
इसलिए एक काम के लिए बनी मशीनों को दुसरे के लिए प्रोग्राम करने में सेकण्ड्स भी नहीं लगेंगे जिस तरह की इंटरनेट स्पीड आज पॉसिबल है।

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