क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंसानो को गुलाम बना सकती है ? Can Artificial Intelligence Enslave Humans?

एक जो सवाल सारी दुनिया को हमेशा से परेशान किये हुए हैं खासकर पहले रोबोट के बनने के बाद से तो बहुत ज्यादा,
मैट्रिक्स और टर्मिनेटर जैसी फिल्म सीरीज भी जिसपर बेस्ड है,
वो ये है की "क्या कभी मशीन इंसानों को गुलाम बना सकती है ?"

इसपर लोगों के अलग अलग मत हैं,
अलीबाबा के जैक मा का कहना है की ऐसा नहीं हो सकता इसलिए वो अपने AI के प्रोजेक्ट पर जितना आगे जा सकते हैं जाएंगे,
फेसबुक के मार्क ज़ुकेरबर्ग का भी ये ही कहना है। 
लेकिन टेस्ला और स्पेसx के एलोन मस्क का कहना है की AI में तरक्की जितनी ज्यादा होती जायेगी एक दिन वो जरूर आएगा के मशीन हमसे ज्यादा इंटेलीजेंट हो जायेगी और हमें गुलाम बना लेगी, जैसे हमने पशुओं को अपने इस्तेमाल के लिए domesticate कर रखा है। 

अब इन दोनों पक्षों का आधार क्या है ?
इसके लिए दरअसल हमें कंप्यूटर साइंस की जड़ में जाना होगा। 
कंप्यूटर क्या है ?
एक ऐसी मशीन जिसे हम कुछ डाटा देते हैं और कुछ इंस्ट्रक्शंस, तो वो मशीन उन इंस्ट्रक्शंस के मुताबिक़ उस डाटा को प्रोसेस कर देती है। 
ये कंप्यूटर का बेसिक मॉडल है और आजतक के सभी कंप्यूटर, बेशक वो मोबाइल फ़ोन हो, या लैपटॉप, या कोई प्रोग्रामिंग से चलने वाली मशीन हो वो इसी मॉडल पर बेस्ड हैं। 
इस मशीन को टूरिंग मशीन बोला जाता है। 
अब ये मशीन वही काम कर सकती है जोकि सीमित समय में संभव है,
यानी के ऐसा काम जिसे की कुछ मिनट कुछ घंटों या कुछ दिनों में किया जा सके, 
जिसमे हज़ारों साल लगें ऐसे काम इसे नहीं दिए जाते। 

अब,
कंप्यूटर हमारे कहे हिसाब से ही काम करे, इसलिए हमने इनपर कुछ Restrictions लगा रखी हैं,
जैसे की क्रिप्टोग्राफ़ी है, जैसे की हमारे फेसबुक के पासवर्ड हैं, 
हमारे फेसबुक के पासवर्ड को डिक्रिप्ट करने के लिए जितना समय चाहिए उसका कोई फायदा नहीं है अगर कोई कर भी लेगा तो,
ऐसे ही हमारी जो व्हाट्सप्प की चैट है, उसे भी डिक्रिप्ट करने के लिए जितना समय चाहिए उतने में इंसान ही मर लेगा। 
और अगर हम क्वांटम क्रिप्टोग्राफ़ी की बात करें तो उसको तो डिकोड करना लगभग नामुमकिन है और उसे डिक्रिप्ट करने तक शायद मानव सभ्यता ही ख़त्म हो जाए। 

इसलिए इन सब और इस तरह के और सिक्योरिटी mechanisms के आधार पर साइंटिस्ट लोग कहते हैं की मशीन हमारे ही कण्ट्रोल में रहेंगी, क्यूंकि हम उनकी लिमिट्स को सीमित रखेंगे। 
                            Elon Musk
लेकिन, 
एलोन मस्क या जो भी आगे की सोचने वाले साइंस Enthusiast हैं, वे मानते हैं की जो काम आज हज़ार साल में हो सकते हैं, वो आने वाले समय में मिनट या दिनों में होने लग जाएंगे। इतिहास को देखें तो ऐसा पहले भी हो चुका है। 90s में जिन फाइल्स को डाउनलोड करने के लिए 100 साल चाहिए थे वो आज 100 सेकण्ड्स में डाउनलोड हो जाती हैं। 
ये बहुत ही सिंपल उदाहरण हो गया। 

कंप्यूटर साइंस में एक बहुत बड़ी प्रॉब्लम है जिसे की P vs NP प्रॉब्लम कहा जाता है। 
इसे आसान शब्दों में समझाऊं तो ये प्रॉब्लम ये है की :
"सुडोकु खेल को हल करने में जितना समय लगता है, उस से बहुत ही कम समय में ये वेरीफाई किया जा सकता है की ये सही सॉल्व हुआ है। तो क्या ऐसा कोई अल्गोरिथम हो सकता है की जिस से जितनी देर में सुडोकु का हल वेरीफाई किया जा सकता है उतनी ही देर में उसे हल भी किया जा सके ?"

इस सवाल का मूल तत्त्व ये है की टूरिंग मशीन या आज के कम्प्यूटर्स के लिए जो काम सीमित समय में हो सकता है उसे हम P प्रॉब्लम कहते हैं, और जिसे बहुत ही ज्यादा समय  है उसे NP प्रॉब्लम कहते हैं। 
तो जो भी इस प्रॉब्लम का हल ले आयगे उसके लिए मिलियन डॉलर का इनाम रखा हुआ है साइंस दानों ने !

और इस प्रॉब्लम के सॉल्व होते ही क्या होगा ?
इस प्रॉब्लम के सॉल्व होते ही प्रोटीन फोल्डिंग को आसानी से समझा जा सके, कैंसर का इलाज निकल आएगा, 
लेकिन इस से और भी कई चीज़ होंगी,
जैसे की क्रिप्टोग्राफ़ी बेअसर हो जायेगी !
जिन कामों के लिए आज हम सोच रहे हैं की ये हज़ार साल में भी नहीं होने, वो सेकण्ड्स में हो जाएंगे !
और ये संभव है। 
और अगर ये संभव हुआ तो टूरिंग मशीन का सिक्योरिटी का आधार ही बेमानी हो जाएगा। फिर कोई काम ऐसा नहीं होगा जिसे की सीमित समय में होने वाला काम समझा जाए, फिर सब ताले टूट जाएंगे। 
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Saar :- आप मशीनों को बेहद इंटेलीजेंट बना दीजिये, ये सोचकर की इनको कण्ट्रोल करने की चाबी तो आपके ही हाथ में है, लेकिन एक दिन पता चलेगा के उन्ही मशीनों ने ताले तोड़ने सीख लिए हैं और आपके पास रखी चाबी अब सिर्फ आपके कान खुजाने के काम आ सकती है।

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