यूक्रैन को लेकर रशिया इतना आक्रमक क्यों है?

यूक्रेन और रूस दोनों ही "फेडरेशन ऑफ़ ट्राइब्स" थे,
यानी के कुछ कबीले थे जो वहाँ रहा करते थे,
लेकिन जब रूस की फेडरेशन पर मंगोलों का आक्रमण हुआ तो उसके बाद रूस के फेडरेशन ने अपनी  स्ट्रेटेजी को चेंज किया और यूक्रेन के अंदर अपना अतिक्रमण स्टार्ट करवा दिया। 
रूस ने यूक्रेन में बाहर से लोग लाकर बसाने  शुरू कर दिए,
और ये सिलसिला चला सोवियत यूनियन तक। 

अब यूक्रेन में यूक्रेन के लोगों के अलावा भी बहुत से बाहरी  आकर बस गए थे रूस के लाने पर। 
इसलिए यूक्रेन अब एक "फेडरेशन ऑफ़ ट्राइब्स" की बजाय एक नेशन बनने की कोशिश करने लगा जोकि बेहद मुश्किल रहता है, 
यूक्रेन की पहले की ट्राइब्स के अलावा स्लाविक तातार इत्यादि बहुत से अलग अलग समाज अब इस एरिया को शेयर करने लग गए। 
साथ ही सोवियत यूनियन के दौर में रूस ने यूक्रेन ने अंदर भाषाई अतिक्रमण भी किया और रुसी भाषा भी वहाँ घुसा दी गयी,
इतनी के वहाँ यूक्रेन की भाषा के टक्कर में रुसी भाषा बोलने वाले लोग हो गए। 

जब सोवियत यूनियन ख़त्म हुआ तो रूस भन्नाया तो बहुत हुआ था लेकिन कमज़ोर था उस समय,
लेकिन रूस की नज़र तब भी थी यूक्रेन पर, 

रूस को बहाना मिल गया जब अमेरिका ने यूक्रेन को नाटो में लाने का काम शुरू किया,
नाटो दरअसल बनी ही हुई है रूस को रोकने के लिए,
अब रूस ने पहले तो अमेरिका को ब्लैकमेल किया के वो नाटो में और किसी देश को ऐड ना करे,
जोकि अमेरिका मान ही नहीं सकता था,
बस उसके बाद क्या था,
उसने कुछ साल पहले क्रिमीआ तो ले ही लिया था, अब यूक्रेन का वो हिस्सा भी वो अपने कब्ज़े में चाहता है जहां उसने बाहरी लोगों को बसाया था। 
यूक्रेन दरअसल बफर स्टेट है रूस की डिफेंस के लिए,
यूक्रेन के टुकड़े होना तय है, क्यूंकि उनमे वो ट्राइबल गठजोड़ नहीं है अब जो पहले हुआ करता था या जो रूस में है, जोकि एक फेडरेशन है स्लाविक ट्राइब्स की।

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